[00:00.00] 作词 : Yashraj[00:01.00] 作曲 : Yashraj/Dropped Out[00:13.58]बनना उसके जैसा, मानता नहीं लोगों को (मैं नहीं मानता)[00:16.83]उम्मीद रखने जितना जानता नहीं लोगों को[00:19.70]ये रिश्ते बनते पट्टे, क्यूँ समय-समय से खिंचते?[00:22.79]इसलिए जाने-अनजाने में मैं क्यूँ बाँधता नहीं लोगों को? (क्यूँ?)[00:26.79]डाँट दोनों को जो काटता और कटता भी[00:29.45]बात दोनों से जो बाँटता और बँटता भी[00:32.66]हाँ, सीखना है सबसे, फ़िर भी बनते क्यूँ हैं बदतमीज़?[00:35.95]ये सपनों का है खटखटाना, रात को दे थपथपी[00:39.33]है कुछ कमी तो लगती जब भी ज़िंदगी को जीते हम[00:43.00]लगता हम सबसे आगे, असल में पीछे हम[00:45.91]मेहनत का फ़ल है दिखता जब जड़ों से ज्ञान सींचे हम[00:49.04]वो खींचे हमको पीछे, सोचें गिरें सीधा नीचे हम, तो ढीठ हैं हम[00:53.70]उठना आदत सी है (सच)[00:56.00]दर्द सारे लिखना तो इबादत सी है[00:58.70]वो पूछें, "कब तक चलेगा ये सब?" ये मेरे सपने[01:02.16]ये तब तक चलेगा जब तक सब होते अपने[01:06.79]बंद कमरों के ख़ाब, दो थी खिड़कियाँ और एक किताब[01:13.41]बंद कमरों के ख़ाब, दो थी खिड़कियाँ और एक किताब[01:18.87]जो भी सारे करें पीठ पीछे बातें, खींचे नीचे आके[01:21.41]वो भी तो बकने के मौक़े ना छोड़ें (ना)[01:23.29]हम भी तो थकने के मौक़े ना छोड़ें[01:25.00]ये लंबी है दौड़, तो कभी ना आती ये चौड़[01:26.91]और लिया है कभी कुछ भीख में नहीं[01:28.50]जानता है तू भी कि तेरे campus वाले rapper[01:30.70]मेरे वाले league में नहीं[01:31.87]नसीब में नहीं है मेरा वाला flow (मेरा वाला flow)[01:34.37]तू जानता नहीं है bro, gig के बाहर[01:36.08]जो १६ पे १६ देके बनने लगे थे कितने दोस्त[01:38.54]कितने लोग जो जाने तुझे तेरे काम से पहले और नाम से बाद[01:41.75]ये so called "OGs", तभी तो मुझे उनका यहाँ नाम नहीं याद[01:45.16]मैं मानूँ कि तू यहाँ independent (तो?)[01:47.25]तो गाने में master नहीं क्या?[01:48.58]पैसे तो diss वाले video में, हलका disaster नहीं क्या?[01:51.75]मैं करता नहीं ego की बात[01:53.08]वरना उड़ने लगेगी यहाँ सबकी खिल्ली[01:54.83]हम poles apart, ये East or West[01:56.41]जैसे चलता यहाँ Bombay, दिल्ली[01:59.00]पर ये सच नहीं, गाने बनाने तो रहते सब touch में ही[02:02.33]आई जो रुत नहीं, जो जानते वो जानते मैं लिखता सब सच भाई[02:04.95]हाँ, बोलना है बहुत कुछ, पर मुँह से निकलेगा आज कुछ नहीं[02:08.12]हाँ, बोलना है बहुत कुछ, पर मुँह से निकलेगा आज कुछ नहीं[02:16.25]बस डर यही बात का लगता है bro कि लोग सुनेंगे क्या[02:25.62]बंद कमरों के ख़ाब, दो थी खिड़कियाँ और एक किताब[02:32.37]बंद कमरों के ख़ाब, दो थी खिड़कियाँ और एक किताब